Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -29-Dec-2022


यूं ही तो नहीं जुड़ते
ये नेह के बंधन
स्नेह के बंधन

जब मुश्किलों के वक्त
कोई हाथ बढ़ा दे
घनघोर अंधेरों में जैसे
दीप जला दे
क्या रूप उसका देखें
क्या नाम उसका जाने
ये धड़कनें भी उसके
अहसान को पहचाने
ये मन तो जानता बस
बिन डोर के बंधन
बिन छोर के बंधन।


सबसे ही ये निभ जाए
जरूरी तो नहीं है
रिश्ता तो है रिश्ता
जी हुजूरी तो नहीं है
फिर भी जो बिना बात
के ही बात निभा दे
कुछ भी न चाहे मगर
साथ निभा दे
तो उसी से बन जाता है
जज्बात का बंधन
बस साथ का बंधन।।






   20
4 Comments

बेहतरीन भाव और अभिव्यक्ति

Reply

Renu

30-Dec-2022 08:00 AM

👍👍🌺

Reply

बहुत खूब

Reply

Anshumandwivedi426

30-Dec-2022 02:50 AM

सादर धन्यवाद

Reply